इस बार सोचा चलो हिन्दी मे ही कुछ लिखा जाए |
कल हम कुछ दोस्त मिलकर कोंकण गये थे | पहले तो रिवर राफ्टिंग का कार्यक्रम था पर बाँध से पानी ना छोड़े जाने के कारण वो तो हम कर नही पाए - लगभग १० दिन से आस लिए बैठे थे की अब जाएँगे अब जाएँगे पर सब चौपट हो गया | फिर क्या था कोंकण के काशिद बीच पर डेरा डाल दिया | पेड़ से बँधे हुए झूलों पर लेटे लेटे नारियल पानी पीना , गरमा गरम पोहे और स्पेशल चाय सूरज की मद्धम धूप मे मज़ा आ गया | कंपनी मे हमारे नुकड नाटक की सफलता के बाद यह एक मस्त वाला जशन था | इन पलों की याद मे एक ब्लॉग पोस्ट होना ज़रूरी था |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment